अशोक मेहता समिति

अशोक मेहता समिति

दिसंबर 1977 में, जनता पार्टी की सरकार ने अशोक मेहता की अध्यक्षता में पंचायती राज संस्थाओं पर एक समिति की स्थापना की। इसने अगस्त 1978 में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिससे देश में पतनोन्मुख पंचायती राज प्रणाली को पुनर्जीवित और मजबूत करने के लिए 132 सिफारिशें की। इनमें मुख्य सिफारिशें निम्नलिखित हैं:

  • द्विस्तरीय पंचायती राज प्रणाली: त्रिस्तरीय पंचायती राज पद्धति की जगह द्विस्तरीय पद्धति की प्राथमिकता देनी चाहिए। जिला परिषद को जिला स्तर पर और उससे नीचे मंडल पंचायत में 15,000 से 20,000 जनसंख्या वाले गांवों के समूहों के रूप में आयोजित किया जाना चाहिए।

  • विकेंद्रीकरण के लिए जिला प्रणाली: लोक निरीक्षण को विकेंद्रीकरण के लिए जिला को प्रथम स्तर पर चुना जाना चाहिए।

  • जिला परिषद कार्यकारी निकाय: एक जिला परिषद कार्यकारी निकाय की स्थापना की जानी चाहिए, जिसे राज्य स्तर पर योजना और विकास के लिए जिम्मेदार बनाया जाना चाहिए।

  • राजनीतिक पार्टियों की भागीदारी: पंचायती चुनावों में सभी स्तरों पर राजनीतिक पार्टियों को आधिकारिक भागीदारी मिलनी चाहिए।

  • पंचायतों के आर्थिक स्रोत: पंचायती राज संस्थाओं को उनके आर्थिक स्रोतों के लिए स्वतंत्रता देनी चाहिए।

  • सामाजिक और आर्थिक लेखा परीक्षण: जिला स्तर के अभिकरण और विधायिकों से बनी समिति द्वारा संस्था का नियमित सामाजिक और आर्थिक लेखा परीक्षण करना चाहिए।

  • राज्य सरकार की अतिक्रमण नियमितता: राज्य सरकार को पंचायती राज संस्थाओं की अतिक्रमण नहीं करना चाहिए, और अधिक्रमण की स्थिति में छह महीने के भीतर चुनाव का आयोजन करना चाहिए।

  • न्याय पंचायत: 'न्याय पंचायत' को विकास पंचायत से अलग निकाय के रूप में रखना चाहिए, जिसे एक योग्य न्यायाधीश की नेतृत्व में चलाया जाना चाहिए।

  • मुख्य चुनाव आयुक्त की सलाह: पंचायती राज चुनाव के आयोजन के लिए मुख्य चुनाव अधिकारी को मुख्य चुनाव आयुक्त के सलाह से कार्य करना चाहिए।

  • विकास के कार्य का प्रबंधन: विकास कार्यों का प्रबंधन जिला परिषद के लिए स्थानांतरित करना चाहिए, और सभी विकास कर्मचारियों को उनके नियंत्रण और देखभाल में रखना चाहिए।

  • स्वैच्छिक संगठनों का समर्थन: पंचायती राज को समर्थित करने के लिए स्वैच्छिक संगठनों की महत्वपूर्ण भूमिका होनी चाहिए।

  • संवैधानिक मान्यता: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक मान्यता देनी चाहिए, जिससे उन्हें प्राधिकृतता और महत्वपूर्णता के साथ सक्रिय होने का अधिकार मिलेगा।

परिस्थितियों के कारण, समिति के कार्यकाल के बाद, जनता पार्टी सरकार के पतन के कारण, केंद्रीय स्तर पर इस समिति की सिफारिशों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। हालांकि, कुछ राज्यों ने अशोक मेहता समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए पंचायती राज संस्थाओं के पुनर्निर्माण के दिशा-निर्देश अपनाए।

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