एल.एम. सिंघवी समिति

 एल.एम. सिंघवी समिति

1986 में, राजीव गांधी सरकार ने 'लोकतंत्र व विकास के लिए पंचायती राज संस्थाओं का पुनरुद्धार' के लिए एक समिति का गठन किया, जिसका अध्यक्ष एल.एम. सिंघवी थे। इस समिति ने निम्नलिखित सुझाव दिए:

  1. संवैधानिक मान्यता: पंचायती राज संस्थाओं को संवैधानिक रूप से मान्यता देने और उनके संरक्षण की आवश्यकता है। इसके लिए भारतीय संविधान में एक नया अध्याय शामिल किया जाना चाहिए, ताकि उनकी पहचान और विश्वसनीयता को मजबूती मिल सके। समिति ने नियमित स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव की सलाह भी दी।

  2. न्याय पंचायतों की स्थापना: गांवों के समूह के लिए न्याय पंचायतों की स्थापना की जानी चाहिए।

  3. गांवों का पुनर्गठन: गांवों को ज्यादा व्यवस्थित बनाने के लिए उनका पुनर्गठन किया जाना चाहिए। समिति ने ग्राम सभा की महत्ता को बढ़ावा दिया और उसे प्रत्यक्ष लोकतंत्र की प्रतीक बताया।

  4. आर्थिक संसाधन: गांव की पंचायतों को अधिक आर्थिक संसाधन प्रदान करने की आवश्यकता है।

  5. न्यायिक अधिकरण: पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव, विघटन और कार्यों से संबंधित विवादों के लिए न्यायिक अधिकरणों की स्थापना की जानी चाहिए।

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